Janardan Rai Nagar Rajasthan Vidyapeeth

Janardan-Rai-Nagar-Rajasthan-Vidyapeeth

संस्थान

संस्थान के संसाधन

भौतिक संसाधन संख्या
कक्षा कक्ष 5 विशेष विवरण कक्षा कक्षों में छात्रों के बैठने की उत्तम सुविधा
स्मार्ट कक्ष 1
कम्प्यूटर 2
लैपटॉप 2 फील्ड में प्रशिक्षण के दौरान उपयोगार्थ
प्रयोगशाला 1
पुस्तकालय 1 850 पुस्तकें
यज्ञशाला 1 पुजन की तैयारी
परामर्श केन्द्र 1 पुजन की तैयारी

शोध कार्य

संस्थान में कई विद्यार्थी ऐसे भी होंगे जो इन विधाओं का अध्ययन गहनता से करने और नवाचार की ओर बढ़ने में रुचि रखते होंगे। उनके लिए नए शोध कार्य करवाए जाएंगे तथा उनके नए-नए विषय पर अध्ययन हेतु शोध कार्य करवाया जाएगा। शोध कार्य का निश्कर्ष व सार आम जनता व विद्वजनों तक पहुंच सके उसके लिए त्रैमासिक पत्रिका, मोनोग्राफ, लघुपुस्तक व पुस्तकों का प्रकाशन हो सके तथा संगोष्ठी, सम्मेलन तथा सेमिनार का आयोजन हो सके इसकी व्यवस्था करनी चाहिए। देश-विदेश में इन पाठ्‌यक्रमों को आधार मान कई संस्थाएं कार्य कर रही हैं, उनके साथ मिल करभी शोध कार्य, सेमिनार, वेबीनार आदि किए जा सकते हैं।

शोधकार्य में प्रायोगिक

(1) भविष्य में संस्थान द्वारा प्राचीन वैधशालाओं यथाजंतर-मंतर के आधार पर ज्योतिषीय अवलोकन
व ग्रह गणित का ज्ञान किस रूप में हो सकता है, जैसे धूप घड़ी, ग्रहण (सूर्य चंद्र) का ज्ञान आदि के लिए
जो भी यंत्र है, उनका निर्माण करना आदि।

(2) एक कुण्डली बैंक की स्थापना तथा प्राचीन कुण्डलियों का संरक्षण व उनका अध्ययन करना। विशिष्ट व्यक्तियों की कुण्डली का विश्लेषण करना कई कुण्डलियों की सत्यता को परखना आदि कार्य करना होगा।

(3) कई अभिलेखों में जो ज्योतिषीय संकेत या विश्लेषण दिए हुए होते हैं, उनकी सत्यता को जांचना व
उनका कालनिर्धारण में ज्योतिषीय तत्वों की उपयोगिता का महत्व समझाना होगा।

(4) साहित्य में भी ज्योतिषीय तत्वों का आंकलन करके उनके कालनिर्धारण में अहम् भूमिका निभाना।

(5) भारतीय संस्कृतिमेंमंदिरवास्तु व प्राचीन जल संस्थानदुर्ग आदि के शिल्पस्थापत्य हेतु उनके
वास्तुविन्यास पर रोचक जानकारी आमजनता तक पहुंवाना, संस्थान का प्रायोगिक क्षेत्र बन सकता है।

(6) प्राचीन ज्योतिष वास्तु कर्मकाण्ड संबंधी पाण्डुलिपियों को सुरक्षित कर उनका पुनर्मुद्रण व हिन्दी में अनुवाद कर जनसमाज के सामने लाना भी संस्थान का उ‌द्देश्य रहेगा।