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International Women’s Day 2025

The report captures the celebrations of International Women’s Day 2025, showcasing inspiring talks, cultural performances, and activities held to honor the achievements and contributions of women. It also includes glimpses of the event through photographs and highlights the university’s commitment to gender equality and empowerment.

शिक्षा की भूमिका - सुविकसित भारत 2047

एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का हुआ आयोजन
शिक्षा बने संस्कृति व तकनीकी का सेतु, तभी होगा विकसित भारत – प्रो. अजीत कुमार कर्नाटक
– शिक्षा के माध्यम से ‘सुविकसित भारत’ का पथ प्रशस्त होगा – प्रो. सारंगदेवोत
– सुविकसित राष्ट्र निर्माण के लिए, सुरक्षित राष्ट्र आज की सबसे बड़ी जरूरत – प्रो. सारंगदेवोत
 
उदयपुर 28 जून / शिक्षा केवल डिग्री मात्र नहीं है, इसका उद्देश्य युवाओं को सशक्त करना, आर्थिक विकास को गति देना, स्वस्थ पर्यावरण, सामाजिक समानता को बढाना है और एक मजबुत राष्ट्र का निर्माण करना है। इनके ही 2047 तक सुविकसित भारत को प्राप्त करने की परिकल्पना की जा सकती है।  कौशल विकास के साथ स्मार्ट एग्रीकल्चर आज की सबसे बड़ी जरूरत है। सुविकसित भारत की संकल्पना, केवल आर्थिक या तकनीकी प्रगति से नहीं, बल्कि शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक समरसता के त्रिवेणी संगम से ही साकार होगी।

उक्त विचार शनिवार को प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में  राजस्थान विद्यापीठ के संघटक श्रमजीवी महाविद्यालय के अंतर्गत संचालित एज्यूकेशन संकाय की ओर से शिक्षा की भूमिका – सुविकसित भारत 2047 विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के उद्घाटन सत्र में  महाराणा प्रताप कृषि महाविद्यालय के कुलपति प्रो. अजित कुमार कर्नाटक ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए।
प्रो. कर्नाटक ने संस्थापक जनुभाई की सोच को नमन करते हुए कहा कि उन्होंने जब तक अंतिम वर्ग तक शिक्षा की अलख नहीं पहुंचेगी तब तक हमारा देश उन्नत नहीं हो सकता। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए जनुभाई ने 1937 में राजस्थान विद्यापीठ की स्थापना की। शिक्षा केवल ज्ञान अर्जन के लिए न होकर एक संस्कृति व संस्कारों के निर्माण का माध्यम है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लिए कौशल आधारित ज्ञान आज की सबसे बडी आवयश्यकता  है जिसमें युवाओं का योगदान अहम है।

उन्होंने वर्तमान कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत के 14 वर्षों के रचनात्मक और दूरदर्शी कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि आपके नेतृत्व में युवाओं को जोड़ने की जो पहल हुई है, वह वास्तव में भारत के भावी भविष्य को आकार देने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।

सेमीनार में प्रो. कर्नाटक ने नवम्बर माह में एमपीयूटी एवं विद्यापीठ के बीच एमओयू करने की घोषणा की जिससे परस्पर शिक्षा से युवाओं केा लाभ मिलेगा।

कुलपति  प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि भारत का सुविकसित स्वरूप मात्र आर्थिक समृद्धि तक सीमित नहीं हो सकता, अपितु वह स्वच्छ, स्वस्थ, सुशासित, स्वदेशी एवं संतुष्ट एवं सम्पोषित भारत के संकल्प से ही पूर्ण हो सकता है। उन्होंने विशेष रूप से प्राकृतिक पंचतत्वों, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के संरक्षण व संतुलन को विकास की बुनियाद बताया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आज का भारत अब ‘डिवाइड एंड रूल’ की उपनिवेशिक मानसिकता से नहीं, बल्कि ‘एकात्म मानववाद’ की सार्वभौमिक भावना से विश्व में अपनी पहचान बना रहा है।

उन्होंने कहा कि भावी पीढी को ध्यान में रखते हुए विकास के कार्य करेंगे तो 2047 तक विकसित भारत की परिकल्पा को कोई नहीं रोक सकता।  सुविकसित भारत 2047 में क्वालिटि एज्यूकेशन की महत्वपूर्ण भूमिका है।  सुविकसित राष्ट्र निर्माण के साथ, सुरक्षित राष्ट्र आज सबसे बड़ी आवश्यकता है। सुरक्षित भारत एजेंडा किसी एक पार्टी का न होकर आमजन को इसमें अपनी भागीदारी निभानी होगी।  आज पूरे विश्व में युद्ध के हालात बने हुए। कोई देश सुरक्षित नहीं है। जब तक देश सुरक्षित नहीं होगा जब तक हम सुविकसित राष्ट्र की कल्पना नहीं कर सकते। हमें गांवो एवं शहरों की दुरी को कम करनी होगी। हमारा देश कृषि प्रधान था जो धीरे धीरे खत्म होता जा रहा है। हमें हमारी प्राचीन ज्ञान परम्परा को पुनः जागृत करना होगा। तभी  हमें सुस्वस्थ भारत, समृद्ध भारत, सुशासित भारत, सम्पोषित भारत की परिकल्पना सार्थक  होगी।  
प्रो. सारंगदेवोत ने भारत के प्रेरणादायक मनीषियों स्वामी विवेकानंद, अरविंदों, दत्तोपंत ठेंगड़ी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय का स्मरण करते हुए कहा कि आज विश्व को इनके विचारों से मार्गदर्शन लेने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि “भारत की जड़ें अध्यात्म, मानवता और सहअस्तित्व में हैं, जो शिक्षा के माध्यम से ही पुनः पुष्पित होंगी।”

युवाओं को दिशा देने से ही बनेगा सुविकसित भारत – कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर’’

अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने अपने उद्बोधन में कहा कि यदि भारत को 2047 तक सुविकसित राष्ट्र बनाना है तो आज के युवाओं को सही दिशा देना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षा ही किसी भी राष्ट्र के सर्वांगीण विकास की बुनियाद होती है, परंतु केवल संस्थागत शिक्षा पर्याप्त नहीं कृ जनजागरण के माध्यम से ही शिक्षा का सार्थक और समावेशी उपयोग हो सकता है।

कुलाधिपति ने युवाओं को केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित न रखकर उन्हें चरित्र निर्माण, सामाजिक चेतना और बौद्धिक सक्रियता की ओर प्रेरित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सच्चे अर्थों में यदि शिक्षा जागरूकता के साथ समाज तक पहुँचे, तभी हम एक संतुलित, सशक्त और सुविकसित भारत की कल्पना को साकार कर सकते हैं।

प्रांरभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजन सचिव डाॅ. सुनिता मुर्डिया ने बताया कि आॅन लाईन आॅफ लाईन मोड में आयोजित सेमीनार में देश के 07 राज्यों के 225 प्रतिभागियों ने भाग लिया। चार तकनीकी सत्रों में प्रो. एमपी शर्मा, प्रो. पीसी दोषी, डाॅ. अनिल कोठारी, डाॅ. अमी राठौड, डाॅ. रचना राठौड ने विजन 2047 पर अपने विचार व्यक्त किए।

समारोह में अतिथियों द्वारा मनोहर लाल अरोडा, डाॅ. दर्शना दवे द्वारा लिखित पुस्तक फिशरिस एडमिनिस्ट्रेटीव क्यूए का विमोचन किया गया।
संचालन डाॅ. हरीश चैबीसा ने किया जबकि आभार प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने जताया।

इस मौके पर परीक्षा नियंत्रक डाॅ. पारस जैन, प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, प्रो. सरोज गर्ग, डाॅ. अमी राठौड, डाॅ. रचना राठौड, डाॅ. सुनिता मुर्डिया, निजी सचिव केके कुमावत, डाॅ. यज्ञ आमेटा, डाॅ. प्रदीप शक्तावत सहित विद्यापीठ के डीन डायरेकटर, विद्यार्थी एवं स्कोलर्स उपस्थित थे।

Krishi Vigyan Mela 2025

This report presents a comprehensive overview of the Krishi Vigyan Mela 2025, highlighting key events, expert insights, and the active participation of farmers, scientists, and dignitaries. It reflects the fair’s impact in promoting sustainable agriculture, knowledge sharing, and technological innovation in farming practices.