Janardan Rai Nagar Rajasthan Vidyapeeth
पाठ्यक्रम अध्ययन हेतू स्वीकृत पाठ्य पुस्तकें बता दी गई तथा जन्मपत्री लेखनविधि व हस्तरेखा के लिए एक वर्कबुक तैयार की गई जिसे विद्यार्थी लेकर उससे अभ्यास कर सकेंगे तथा वास्तु ज्योतिष डिप्लोमा व एम ए के सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को कम्प्यूटराइज्डज टाइप करवा दिया गया है तथा अभी तक उनके नोट्स के रूप फोटोकॉपी कराने का कहा जाता है इस बार ऑनलाइन कक्षाओं में भी भेजेगें। यदि ऑनलाइन के माध्यम से जन्मपत्रिका के फलित का विश्लेक्षण सिखाया जाता है। वास्तु के गृह के नक्शों को भी ऑनलाइन व प्रोजेक्टर के माध्यम से बताया जाता है। साथ ही मन्दिर वास्तु के आंतरिक व बाहरी वास्तु विन्यास को भी ऑनलाइन व प्रोजेक्टर के माध्यम से जानकारी दी जाती है। मन्दिर की व्यवस्था कैसे हो यह सिखाया जाता है साथ ही पंचायतन मन्दिर की पूजा विधि की पूर्ण जानकारी दी जाती है।
ज्योतिष के प्रायोगिक में 21 मार्च व 23 सितम्बर को विषुव दिवस के रूप में अक्षांश-रेखांश व छाया ज्ञान पलभा आदि का प्रायोगिक कार्य हर वर्ष करवाया जाता है। आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन वायु चलन तथा मावठ के दिन से वर्षा ज्ञान आदि प्रायोगिक कराए जाते हैं। एम.ए. पाठ्यक्रम के लिए द्वितीया के चंद्रमा का अध्ययन, सस्य विचार, वृश्टिविज्ञान, दुर्भिक्ष आदिकाभी अध्ययन करवाया जाएगा। वास्तुमें 10-25 घरों का निरीक्षण प्रतिवर्श करवाया जाता है तथा मंदिर वास्तु में अभी तक नागदा मन्दिर, जगतमंदिर, आयड़ के गंगूकुण्ड, मीरां मंदिर, आयड़ सभ्यता संग्रहालय, जगदीश मंदिर, अमरखजी शिवमंदिर, एकलिंगजीमंदिर, बाईजीराज का कुण्ड, तोरण बावड़ी सहित कई मंदिर-बावड़ी पर ले जाकर प्रायोगिक अध्ययन कराया गया है।
क्र.सं. | अवधि | CODE NO. | विषय एवं पश्नपत्र का नाम | |
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1 | प्रथम वर्ष | प्रथम सेमेस्टर | BJV-101 | पंचांग परिचय व गणित |
द्वितीय सेमेस्टर | BJV-102 | प्रारंम्भिक ज्योतिष फलित | ||
2 | द्वितीय वर्ष | तृतीय सेमेस्टर | BJV-103 | जन्मपत्री रचना प्रारम्भिक |
चतुर्थ सेमेस्टर | BJV-104 | मेलापक व मुहूर्त | ||
3 | तृतीय वर्ष | पंचम सेमेस्टर | BJV-105 | खगोल शास्त्र परिचय |
षष्ठ सेमेस्टर | BJV-106 | फलित विचार |