ज्योतिर्मय यह देश हमारा ज्योतिर्मय यह देश हमारा
धवल हिमालय के ललाट पर अरूण-तिलक अतिन्यारा-ज्योतिर्मय…
कोटि-कोटि संवत्सर से यह, चलता पथिक सनातन।
अन्धकारमय पतन-निशामें, दीप्तिमान सपनों सा पावन।।
पुण्य श्लोक यह श्रेय पंथ को कोटि-कोटि, जनगण का प्यारा-ज्योतिर्मय…
महिमामय स्मृतियों से जगमग, अजर-अमर यह चिर-चिरसुन्दर।
जगत वंद्य विश्रुत गरिमामय, अगणित गुणगाथा से मनहर।।
यह पुराण नितनूतन गतिमय,जीवन-मरणसहारा-ज्योतिर्मय…
घोर मूर्छना में स्पन्दमय, जागृति में कम्पित पीड़ामय।
प्रतिभामय संघर्षकाल में, आलोकित निर्माण कालमें।।
सिंधु तरंगों सागुंजनमय भारतवर्ष हमारा-ज्योतिर्मय…
उद्यत एक अखण्ड तेजमय, अमित ओज में सदाशीलमय।
नितहीमति, धृति कृति में प्रभुमय। गहन निराशा में आशामय।।
स्वर्ग-भूमि से भी बढ़कर यह नन्दन विपिन हमारा-ज्योतिर्मय…