Janardan Rai Nagar Rajasthan Vidyapeeth
जनार्दन राय नागर विद्यापीठ (डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय)
माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय परिसर, टाउनहॉल रोड, उदयपुर
मोबाइल नं. 9460030605, email: jyotishvastujrnrvu@gmail.com
प्रो. बलवन्त शान्तिलाल जॉनी चांलसर, प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत वाइस चांलसर, विभागाध्यक्ष व समन्वयक डॉ. अलकनन्दा शर्मा
दिनांक-22-07-2013, विक्रम संवत् 2070, आषाढ शुक्ल पूर्णिमा (गुरुपूर्णिमा) ज्योतिष एवं वास्तु संस्थान का शुभारंभ जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टूबी) विश्वविद्यालय, के तत्कालीन कुलाधिपति श्री भवानीशंकर गर्ग, कुलपति प्रो. श्री शिव सिंह सारंगदेवोत जी के कर कमलों से वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ 22.07.2013 को हुआ।
विश्वविद्यालय द्वारा सन् 2012-2013 में ज्योतिष एवं वास्तु संस्थान को स्वतन्त्र रूप में मान्यता दी गई है। विश्वविद्यालय का मानना है कि विस्मृत होती जा रही प्राचीन विद्याओं का अध्ययन कराकर उन विद्याओं के माध्यम से किसी छात्र को आजीविका की उपलब्धता का प्रयास किया जाए तो अवश्य करना चाहिए। ज्योतिष व वास्तु पाठ्यक्रम को शुरू करने में दोनों ही उद्देश्यों की पूर्ति संभव होगी। प्राचीन काल से ही ज्योतिष को संस्कृत विषय के अन्तर्गत समझा जाता रहा है और माना जाता रहा है कि ज्योतिष सीखने के लिए संस्कृत का ज्ञाता होना अनिवार्य है, परन्तु विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित ज्योतिष व वास्तु विभाग द्वारा संचालित ज्योतिष व वास्तु पाठ्यक्रम में शिक्षण का माध्यम हिन्दी रखा गया है। विभाग की विशेषता छात्रों को मात्र ज्योतिषी, वास्तुविद् या पण्डित बनाने की नहीं होकर यदि विद्यार्थी किसी अन्य विषय में विशारद हासिल करता है और वह ज्योतिष या वास्तु भी सिखता है तो निश्चित ही उसके अपने विषय में, उसके अपने शोध में बदलाव आयेगा। अपने विषय की गहराइयों तक समझ सकेगा। उदाहरण के रूप में यदि विद्यार्थी इतिहास-प्राचीन सभ्यता संस्कृति विषय में गहनशीलता रखता है और उसने यदि ज्योतिष का ज्ञान भी हासिल किया है तब वह प्राचीन अभिलेखों में अंकित तिथियांकन को सही कर पायेगा। यह प्राचीन साहित्य के तथ्यों को उसमें आये काल गणना को सही कर सकेगा। प्राचीन खण्डहर, किले, महलों, शिल्प स्थापत्य के वास्तु नियमानुसार परख कर सकेगा। यदि वह समाजशास्त्र में रुचि रखने वाला है तो समाज में होने वाले बदलाव, रीति-रिवाज, परम्परा आदि में ज्योतिष का ज्ञान होने पर सैद्धान्तिक रूप से मिली मान्यता व अंधविश्वास द्वारा थोपी गई मान्यताओं में अंतर कर सकेगा और समाज में सही तथ्य ला पाएगा। जिन ग्रह नक्षत्रों के आधार से ज्योतिष की पृश्ठभूमि बनती है वह खगोलशास्त्र विज्ञान के क्षेत्र में खगोलविज्ञान के रूप में विश्व भर में मान्य है ही, और चिकित्सा क्षेत्र में भी ज्योतिष पक्ष अपना महत्तवपूर्ण योगदान रखता है। मेडिकल एस्ट्रोलॉजी पर विश्वभर में कई कार्य चल रहे है। मनोविज्ञान विषय में तो विशेष महत्तवपूर्ण योगदान ज्योतिषज्ञान हो सकता है। मानसिक व आत्मिक शांति के लिए ज्योतिषीय ज्ञान कारगर साबित हो रहा है। जीव जन्तु विज्ञान जानने वाले जानते ही है कई जीव जन्तु सूर्य चन्द्रमा से प्रभावित विशेष दिनों में अपनी विशेश गतिविधियां रखते हैं उनका शांत व हिंसक व्यवहार के लिए ग्रह गोचर प्रभावी रहते है इनका अध्ययन भी योगकारक सिद्ध हो सकता है, इसी प्रकार भूगोल क्षेत्र में अध्ययन करने वाला पृथ्वी पर कैसे व किस प्रकार परिवर्तन होता है यह अध्ययन करता आया हैए पर विशेष अध्ययन तब कर सकता है जब उसे ज्योतिष का ज्ञान हो। इस प्रकार संस्थान का प्रयास यही रहेगा कि विद्यार्थी का विकास मात्र मानविकी व सामाजिक के साथ साथ उसका बौद्धिक विकास, उसका आर्थिक स्वावलंबन, उसकी संस्कृति व सभ्यता का परिचय तथा धर्म का ज्ञान प्राप्त हो सके।