इस संस्थान में सर्टीफिकेट पाठ्यक्रम का उद्देश्य यह है कि कोई भी विद्यार्थी ज्योतिष वास्तु, पूजा पद्धति हस्तरेखा सीखकर अपना रोजगार शुरू कर सके। यदि किसी कारण वह 10वीं तक ही पढ़ सका है तब भी वह इन पाठ्यक्रम के माध्यम से जीवनयापन कर सकता है।
2. समय
ज्योतिष एवं वास्तु संस्थान का समय अपराह्न 4 से 7 बजे तक रखा गया है। (यदि आवश्यक हुआ तो फेरबदल हो सकता है।
विशेषरूप-सरकारी क्षेत्र से जुडे व्यक्तिभी अध्ययन कर सके उनके लिए शनिवार रविवार की कक्षा भी लगेगी।
3. पाठ्यक्रम पढ़ाने का समय
सभी पाठ्यक्रम के लिए प्रतिदिन का दो कालांश निर्धारित किया गया है। एक कालांश एक घंटा या 45 मिनट का मान्य किया गया है। प्रायोगिक के लिए यदि बाहर लेकर जाया जाता है तो कालांश 3 या 4 माने जाएंगे।
4. पाठ्यक्रम अध्ययन
संस्थान में 2 डिप्लोमा व 5 सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम चल रहे हैं। प्रत्येक में दो कालांश प्रतिदिन अध्ययन कराया जाता है। शनिवार रविवार की कक्षा भी विशेष स्थिति में व हस्तरेखा पाठ्यक्रम, वैदिक पाठ्यक्रम में लगेगी। ऑनलाइन कक्षा का भी प्रावधान है।
5. पुस्तकालय
संस्थान की शुरुआत से ही एक लघु पुस्तकालय बनाया हुआ है। करीब 800 से अधिक पुस्तकें ज्योतिष वास्तु-कर्मकाण्ड हस्तरेखा अंक व भारतीय धर्म शास्त्र संस्कृति आदि से संबंधित हैं। कुछ पुरानी किताबें भी शामिल की गई हैं जो कई ज्योतिषियों के घर से लाई गई है। 6. प्रायोगिक ज्योतिष के प्रायोगिक में 21 मार्च व 23 सितम्बर को विषुव दिवस के रूप में अक्षांश-रेखांश व छायाज्ञान पलभा आदि का प्रायोगिक कार्य हर वर्ष करवाया जाता है। आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन वायु चलन तथा मावठ के दिन से वर्षा ज्ञान आदि प्रायोगिक कराए जाते हैं। एम.ए. पाठ्यक्रम के लिए द्वितीया के चंद्रमा का अध्ययन, सस्य विचार, वृष्टि विज्ञान, दुर्भिक्ष आदि का भी अध्ययन करवाया जाएगा।